इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमज़ोर हो न
हम चले नेक रस्ते पे हमसे
भूल कर भी कोई भूल हो न
हर तरफ ज़ुल्म है बेबसी है
सहमा-सहमा सा हर आदमी है
पाने सच्चाईयों को अगर हम
अब भी उठ जाएं तो बुराई हो न
हम न सोचें हमें क्या मिला है
हम ये सोचें कि क्या क्या दिया है
फल सदा दें हमें प्यारे बागों
जैसे देता है शाख़ों को सावन